जे जे पी की भिवानी जन समर्थन रैली राजनीतिक जमीन तलाश करने की कवायद तो नहीं !
Dharam paal Verma
Daksh darpan desk
Chandigarh
राजनीति में शक्ति परीक्षण मतलब ताकत दिखाने के दो सार्थक फार्मूले होते हैं ।एक चुनाव और दूसरा जनसभाओं के माध्यम से भीड़ जुटाकर आम आदमी और राजनीतिक विरोधियो को प्रभावित करना मतलब अपना जनाधार दिखाना।यह काम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला प्रमुखता से करते रहे हैं और अब उन्हीं के परिवार की श्रृंखला जननायक जनता पार्टी के नेता भी शायद इसी भावना को अपनी राजनीति का हिस्सा बनाकर चल रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव से ऐन पहले दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में रोहतक में एक बड़ी और प्रभावशाली रैली आयोजित की गई थी । उसी के दम पर पार्टी के 10 विधायक बन कर आ गए वरना 3 से ज्यादा सीटें आने की संभावना नहीं जताई जा रही थी । यह उस रैली का ही प्रभाव था कि विभिन्न दलों से टिकट मांग रहे परंतु निराश हुए लोग जेजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने को तैयार हो गए इनमें अधिकांश ऐसे थे जो जेजेपी की टिकट के बिना निर्दलीय भी चुनाव जीतने की स्थिति में थे। यदि जेजेपी की तीन या चार ही सीटे आती तो फिर दुष्यंत कैसे उपमुख्यमंत्री बनते । इसलिए उन्हें रैलियों की अहमियत का पता है और शायद इसी के दृष्टिगत 9 दिसंबर को भिवानी में एक प्रदेश स्तरीय रैली आयोजित करने का फैसला किया गया है ।इस रैली को जन समर्थन रैली का नाम दिया गया है।
इस रैली के आयोजन के पीछे तीन कारण हो सकते हैं। एक यह कि बरोदा उपचुनाव की हार के बाद गठबंधन में दरार जैसी बात होने की खबरें आ रही है । दूसरा यह कि उपचुनाव में जेजेपी को यह एहसास हो गया है कि उनका जनाधार खिसक रहा है वह भी भूपेंद्र हुड्डा के गढ में ।तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण है ,वह यह कि इंडियन नेशनल लोकदल की जनता में चर्चा बढ जाने की खबरें आ रही हैं और उसका पहले से आक्रामक हो जाने की सूचना है ।
खिसकते जनाधार के कई कारण हो सकते हैं । एक तो यही है कि जेजेपी के कार्यकर्ता बहुत हताश और निराश बताए जा रहे हैं जो पार्टी के नेताओं पर गोली देने का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ने लगे हैं ।अभी एक खबर आई की जेजेपीके जिला सिरसा अध्यक्ष ने भाजपा के जिला अध्यक्ष आदित्य चोपड़ा पर यह आरोप लगाया है कि वे सिरसा जिले में जेजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करा रहे हैं । वह गठबंधन धर्म नहीं निभा रहे हैं । इसलिए भाजपा के नेताओं को आदित्य चौटाला के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए ।इसका मतलब यह है कि जेजेपी जिलाध्यक्ष ने वह स्वीकार कर लिया है कि उसके कार्यकर्ता जेजेपी छोड़कर जा रहे हैं और वह भी सिरसा जिले में ।इस मामले में आदित्य चौटाला कहते हैं कि जेजेपी छोड़कर आने वाले सारे कार्यकर्ता जो उन के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं, सारे के सारे मेहनती समर्पित और कर्मठ कार्य कर्ता है और सारे एक स्वर में यही बात कहते हैं कि जेजेपी के सारे नेता मतलब अजय सिंह दुष्यंत और दिग्विजय उनके काम करने की बजाय मीठी गोलियां और वह इतनी मोटी-मोटी देते हैं कि उन्हें निगला भी नहीं जा सकता ।
यदि सिरसा में यह बात है तो फिर सो ए फीस दी आप यह मान कर चल सकते हैं कि यह कमजोरी सभी जिलों में होगी। बीजेपी के विरोधी भी इस प्रचार में लगे है कि दुष्यंत दिग्विजय केवल अपना भला करने में लगे हुए हैं जनता और कार्यकर्ताओं को झूठी तसल्ली देने के नए-नए तरीके इजाद करके अपनी राजनीति को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं परंतु इस कोशिश में एक्सपोज भी हो रहे हैं।
पुराने रोहतक जिले में तो यह प्रचार जोरों पर है कि किसान वर्ग का एक समुदाय इतना बीजेपी से नाराज नहीं है जितना जेजेपी से है । इसलिए यह दिखाने के लिए कि नहीं , लोग हमारे साथ हैं ,भिवानी में रैली करने का फैसला किया गया होगा।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक बयान दिया था कि बरोदा उपचुनाव में हमें जेजेपी से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला उनका मकसद यह कहना था कि इनके उम्मीदवार को जेजेपी के वोट कम मिले । यह एक संदेश है जिसे समझा जा सकता है साबित नहीं किया जा सकता ।
मुख्यमंत्री ने एक नया काम और कर दिखाया ।उन्होंने बादशाहपुर जिला गुड़गांव के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद को चेयरमैन बनाने का फैसला लिया जो यह दर्शाता है कि पानी आने से पहले बांध बनाने की कोशिश में है ।यानी विकल्प को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं मतलब जेजेपी सरकार से बाहर हो या कर दी जाए तो सरकार को बहुमत की कोई दिक्कत ना आए। यह काम उन अवस्थाओं में किया गया है जब बीजेपी के जिला गुडगांव में अपने तीन एमएलए हैं और जिस निर्दलीय दौलताबाद को सत्ता में भागीदार बनाया गया है उसने भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष रहे उम्मीदवार को हराया था।भाजपा का यह उम्मीदवार एक लाख से भी अधिक वोट लेकर भी नहीं जीत पाया था। संभव है मुख्यमंत्री की इस रणनीति को जे जे पी के नेता अन्यथा लेकर भी चल रहे हो और इसलिए रैली करके खुद को सक्षम और मजबूत दर्शाने की कोशिश में लगे हुए हो ।
बेशक दुष्यंत चौटाला दिग्विजय से बड़े हैं और वे 2014 में राजनीतिक स्टेटस प्राप्त करने में सफल रहे हैं परंतु दिग्विजय राजनीति में दुष्यंत चौटाला से पहले सक्रिय हैं परंतु जिंदगी के दोनों चुनाव हार गए ।पार्टी और परिवार निसंदेहअब इस कोशिश में भी होगे की अपेक्षाकृत अधिक तेजतर्रार दिग्विजय सिंह का भी पोलिटिकल स्टेटस बने ।सब जानते हैं कि संगठन के मामले में वह जहां इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं वही जे जे पी के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं परंतु किसी सदन के सदस्य नहीं है । वह जींद में सफल नहीं हो पाए सोनीपत में सफल नहीं हो पाई अब हो सकता है उनका अगला लक्ष्य भिवानी लोकसभा क्षेत्र हो । संभव है सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से दिग्विजय की हार और अब बरोदा में गठबंधन की हार ने जेजेपी के नेताओं के मन मस्तिष्क में यह प्रभाव बन गया हो कि पुराने रोहतक जिले में दाल नहीं गल पाएगी जींद का क्षेत्र भी उनके हाथ से खिसकता नजर आ रहा है हिसार लोकसभा क्षेत्र मैं ही उनका प्रभाव नजर आता था । ऐसे में संभव है दिग्विजय सिंह को भिवानी लोकसभा क्षेत्र से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ाने की योजना पर काम किया जा रहा हो । भिवानी से अजय सिंह चौटाला सांसद रहे हैं और अब इसी चुनाव क्षेत्र में बाढड़ा से नैना चौटाला विधायक हैं ।
उधर उनके तीन विधायक या तो नाराज चल रहे हैं या किसी रूप में उनका पलड़ा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के पक्ष में झुका नजर आ रहा है ।
एक बात जरूर है की जे जे पी रैली के लिए उपयुक्त समय और स्थान तय कर समझदारी का परिचय दिया है क्योंकि दिसंबर के मध्य में सर्दी बहुत हो जाती है धुंध और कोहरा आदि पड़ने शुरू हो जाते है । 9 दिसंबर के बाद मार्च तक रेलिया आदि नहीं हो पाएंगी इसलिए लंबे समय तक भिवानी रैली का इंप्रेशन बना रहेगा ।परंतु यह सत्य है कि इसके बाद इंडियन नेशनल लोकदल के सूत्रधार अभय सिंह चौटाला इस रैली का जवाब देने के लिए कोई रैली जरूर करेंगे और संभव है वह रोहतक सोनीपत जींद में कहीं भी कर ली जाए । अब देखते हैं आगे आगे होता है क्या ।